हिंदी को भविष्य और विश्व की भाषा बनाने के संकल्प के साथ 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन सोमवार को यहां संपन्न हो गया। इस मौके पर जो अनुशंसाएं की गईं उसमें मुख्य जोर हिंदी को सूचना-प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर की भाषा के रूप में विकसित करने पर दिया गया।
यहां गोस्वामी तुलसीदास नगर के विशाल सभागार में आयोजित समापन समारोह में गीतकार प्रसून जोशी और मॉरीशस के दिवंगत साहित्कार अभिमन्यु अनत समेत देश-विदेश के विद्वानों को विशिष्ट हिंदी सेवी सम्मान से नवाजा गया।
सी-डैक समेत कई संस्थाओं को भी हिंदी के साफ्टवेयर और टूल विकसित करने के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मॉरीशस के कार्यवाहक राष्ट्रपति परम शिव पिल्लै वयापुरी ने कहा कि समय आ गया है कि हिंदी को दुनिया में बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा।
उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत भी हिंदी से की। तीन दिन के सम्मेलन में चर्चा के जो आठ सत्र हुए, उनकी अनुशंसाएं भी रखी गईं। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र से प्रसारित होने वाले साप्ताहिक हिंदी बुलेटिन को भी दुनिया भर से आए हिंदी प्रेमियों को सुनाया गया।
मॉरीशस की आजादी हिंदी भाषा की बदौलत ....अनिरुद्ध
समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि मॉरीशस के मार्गदर्शक और रक्षा मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने कहा कि इस विश्व हिंदी सम्मेलन से भारत और उनके देश में खून का रिश्ता और गहरा हुआ है।
उन्होंने कहा कि मॉरीशस की आजादी हिंदी भाषा की बदौलत है। इसलिए वह चाहते हैं कि उनके देश की नई पीढ़ी हिंदी सीखे।
हिंदी हुकूमत की ताकत से नहीं,मानव शक्ति से बढ़ रही
विभिन्न देशों से आए हिंदी सेवियों का आभार जताते हुए विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने कहा कि इतिहास गवाह है कि भाषाएं हुकूमतों की ताकत से आगे बढ़ीं। लेकिन,भारत में संस्कृत भाषा संस्कृति के साथ विकसित हुई। अब हिंदी भाषा मानव शक्ति से आगे बढ़ रही है। इसलिए इसे विश्व भाषा बनने में कोई संदेह नहीं है।
हिंदी को सर्वग्राही बनाने के लिए डिजिटल इंकलाब की जरूरत
वरिष्ठ कवि डॉ.अशोक चक्रधर ने अपने सत्र की अनुशंसा में हिंदी में डिजिटल इंकलाब की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि हिंदी को संचार और सूचना-प्रौद्योगिकी की भाषा बनाने के लिए कोशिशें तेज करनी होंगी। हिंदी और भारतीय भाषाओं के लिए विशिष्ट प्रोग्रामिंग करनी चाहिए। इसके साथ ही मॉरीशस जैसे देशों से हिंदी में डिजिटल साझीदारी बढ़ाई जाए। उन्होंने खासतौर पर 'ई-महाशब्दकोश' और 'इमली' साफ्टवेयर की चर्चा की जो भारत में विकसित हुए हैं। इस बार 11वां विश्व हिंदी सम्मलेन 18 से 20 अगस्त, 2018 को मॉरिशस में आयोजित किया जा रहा है। मॉरिशस में विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर मॉरिशस के पीएम प्रविन्द कुमार और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी मौजूद रहीं।
विश्व हिंदी सम्मेलन की मुख्य विषय वस्तु 'वैश्विक हिंदी और भारतीय संस्कृति' है। मुख्य विषय के अतिरिक्त 12 अन्य उपविषयों पर आधारित समानांतर सत्र होंगे। इस अवसर पर पुस्तक प्रदर्शनियां और साहित्यकारों की पुस्तकों का लोकार्पण किया जाएगा। इस बार देश विदेश के विभिन्न भागों से, जहां हिंदी पढाई जाती है, लगभग 1500 पंजीकृत प्रतिभागियों और हिंदी सेवियों के सम्मलेन में भाग लेने की संभावना जताई गई है।
इस कार्यक्रम को लेकर मॉरीशस की शिक्षा मंत्री ने विश्व हिंदी सम्मेलन के 11वें संस्करण का लोगो और वेबसाइट लॉन्च किया था। इस मौके पर मॉरीशस की शिक्षा मंत्री लीला देवी दोखुन ने कहा था कि आज हिंदी की हालत पानी में जूझते जहाज की तरह हो गई है। मुझे 'लोगो' के लिए प्रतिभागियों द्वारा भेजी इंट्री देखने का मौका मिला। मैंने महसूस किया कि सभी डिजाइन एक-दूसरे से मिलते-जुलते ही थे। वेबसाइट पर जानकारियों को अपडेट करने के लिए एक सब-कमेटी का भी गठन किया गया है।
सम्मेलन के विषय में जानकारी देने के लिए मॉरीशस से एक प्रतिनिधि दल भारत आया था। उनसे मुलाकात के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि भाषा और संस्कृति साथ-साथ चलते हैं। एक के खत्म होने पर दूसरा अपने आप ही विलीन हो जाता है। ऐसे में भारत के बाहर भी हिंदी को जीवित रखने में इस सम्मेलन की बड़ी भूमिका है।
10 अप्रैल, 2018 को जवाहर लाल नेहरू भवन, विदेश मंत्रालय, नई दिल्ली में माननीय श्रीमती सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री, भारत सरकार और माननीय श्रीमती लीला देवी दुखन लछुमन, शिक्षा एवं मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री, मॉरिशस सरकार द्वारा संयुक्त रूप से विश्व हिंदी सम्मलेन -2018 वेबसाइट का लोकार्पण किया था |
जानिए विश्व हिंदी दिवस के बारे में
1- पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था। इसलिए इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। 2006 के बाद से हर साल 10 जनवरी को विश्वभर में विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है।
2- पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को हर साल विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाए जाने की घोषणा की थी।
3- विदेशों में भारतीय दूतावास विश्व हिंदी दिवस के मौके पर विशेष कार्यक्रमाें का आयोजन करते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
4- नॉर्वे में पहला विश्व हिंदी दिवस भारतीय दूतावास ने मनाया था। इसके बाद दूसरा और तीसरा विश्व हिंदी दिवस भारतीय नॉर्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वाधान में लेखक सुरेशचन्द्र शुक्ल की अध्यक्षता में बहुत धूमधाम से मनाया गया था।
5- विश्व हिंदी दिवस के अलावा हर साल 14 सितंबर को 'हिंदी दिवस' मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था तभी से 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
6- अभी विश्व के सैंकड़ों विश्वविद्यालयों में हिंदी पाठ्यक्रम शामिल है। विश्व में करोड़ों लोग हिंदी बोलते हैं। यही नहीं हिंदी दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली पांच भाषाओं में से एक है।
यहां गोस्वामी तुलसीदास नगर के विशाल सभागार में आयोजित समापन समारोह में गीतकार प्रसून जोशी और मॉरीशस के दिवंगत साहित्कार अभिमन्यु अनत समेत देश-विदेश के विद्वानों को विशिष्ट हिंदी सेवी सम्मान से नवाजा गया।
सी-डैक समेत कई संस्थाओं को भी हिंदी के साफ्टवेयर और टूल विकसित करने के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मॉरीशस के कार्यवाहक राष्ट्रपति परम शिव पिल्लै वयापुरी ने कहा कि समय आ गया है कि हिंदी को दुनिया में बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा।
उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत भी हिंदी से की। तीन दिन के सम्मेलन में चर्चा के जो आठ सत्र हुए, उनकी अनुशंसाएं भी रखी गईं। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र से प्रसारित होने वाले साप्ताहिक हिंदी बुलेटिन को भी दुनिया भर से आए हिंदी प्रेमियों को सुनाया गया।
मॉरीशस की आजादी हिंदी भाषा की बदौलत ....अनिरुद्ध
समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि मॉरीशस के मार्गदर्शक और रक्षा मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने कहा कि इस विश्व हिंदी सम्मेलन से भारत और उनके देश में खून का रिश्ता और गहरा हुआ है।
उन्होंने कहा कि मॉरीशस की आजादी हिंदी भाषा की बदौलत है। इसलिए वह चाहते हैं कि उनके देश की नई पीढ़ी हिंदी सीखे।
हिंदी हुकूमत की ताकत से नहीं,मानव शक्ति से बढ़ रही
विभिन्न देशों से आए हिंदी सेवियों का आभार जताते हुए विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने कहा कि इतिहास गवाह है कि भाषाएं हुकूमतों की ताकत से आगे बढ़ीं। लेकिन,भारत में संस्कृत भाषा संस्कृति के साथ विकसित हुई। अब हिंदी भाषा मानव शक्ति से आगे बढ़ रही है। इसलिए इसे विश्व भाषा बनने में कोई संदेह नहीं है।
हिंदी को सर्वग्राही बनाने के लिए डिजिटल इंकलाब की जरूरत
वरिष्ठ कवि डॉ.अशोक चक्रधर ने अपने सत्र की अनुशंसा में हिंदी में डिजिटल इंकलाब की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि हिंदी को संचार और सूचना-प्रौद्योगिकी की भाषा बनाने के लिए कोशिशें तेज करनी होंगी। हिंदी और भारतीय भाषाओं के लिए विशिष्ट प्रोग्रामिंग करनी चाहिए। इसके साथ ही मॉरीशस जैसे देशों से हिंदी में डिजिटल साझीदारी बढ़ाई जाए। उन्होंने खासतौर पर 'ई-महाशब्दकोश' और 'इमली' साफ्टवेयर की चर्चा की जो भारत में विकसित हुए हैं। इस बार 11वां विश्व हिंदी सम्मलेन 18 से 20 अगस्त, 2018 को मॉरिशस में आयोजित किया जा रहा है। मॉरिशस में विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर मॉरिशस के पीएम प्रविन्द कुमार और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी मौजूद रहीं।
विश्व हिंदी सम्मेलन की मुख्य विषय वस्तु 'वैश्विक हिंदी और भारतीय संस्कृति' है। मुख्य विषय के अतिरिक्त 12 अन्य उपविषयों पर आधारित समानांतर सत्र होंगे। इस अवसर पर पुस्तक प्रदर्शनियां और साहित्यकारों की पुस्तकों का लोकार्पण किया जाएगा। इस बार देश विदेश के विभिन्न भागों से, जहां हिंदी पढाई जाती है, लगभग 1500 पंजीकृत प्रतिभागियों और हिंदी सेवियों के सम्मलेन में भाग लेने की संभावना जताई गई है।
इस कार्यक्रम को लेकर मॉरीशस की शिक्षा मंत्री ने विश्व हिंदी सम्मेलन के 11वें संस्करण का लोगो और वेबसाइट लॉन्च किया था। इस मौके पर मॉरीशस की शिक्षा मंत्री लीला देवी दोखुन ने कहा था कि आज हिंदी की हालत पानी में जूझते जहाज की तरह हो गई है। मुझे 'लोगो' के लिए प्रतिभागियों द्वारा भेजी इंट्री देखने का मौका मिला। मैंने महसूस किया कि सभी डिजाइन एक-दूसरे से मिलते-जुलते ही थे। वेबसाइट पर जानकारियों को अपडेट करने के लिए एक सब-कमेटी का भी गठन किया गया है।
सम्मेलन के विषय में जानकारी देने के लिए मॉरीशस से एक प्रतिनिधि दल भारत आया था। उनसे मुलाकात के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि भाषा और संस्कृति साथ-साथ चलते हैं। एक के खत्म होने पर दूसरा अपने आप ही विलीन हो जाता है। ऐसे में भारत के बाहर भी हिंदी को जीवित रखने में इस सम्मेलन की बड़ी भूमिका है।
10 अप्रैल, 2018 को जवाहर लाल नेहरू भवन, विदेश मंत्रालय, नई दिल्ली में माननीय श्रीमती सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री, भारत सरकार और माननीय श्रीमती लीला देवी दुखन लछुमन, शिक्षा एवं मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री, मॉरिशस सरकार द्वारा संयुक्त रूप से विश्व हिंदी सम्मलेन -2018 वेबसाइट का लोकार्पण किया था |
जानिए विश्व हिंदी दिवस के बारे में
1- पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था। इसलिए इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। 2006 के बाद से हर साल 10 जनवरी को विश्वभर में विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है।
2- पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को हर साल विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाए जाने की घोषणा की थी।
3- विदेशों में भारतीय दूतावास विश्व हिंदी दिवस के मौके पर विशेष कार्यक्रमाें का आयोजन करते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
4- नॉर्वे में पहला विश्व हिंदी दिवस भारतीय दूतावास ने मनाया था। इसके बाद दूसरा और तीसरा विश्व हिंदी दिवस भारतीय नॉर्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वाधान में लेखक सुरेशचन्द्र शुक्ल की अध्यक्षता में बहुत धूमधाम से मनाया गया था।
5- विश्व हिंदी दिवस के अलावा हर साल 14 सितंबर को 'हिंदी दिवस' मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था तभी से 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
6- अभी विश्व के सैंकड़ों विश्वविद्यालयों में हिंदी पाठ्यक्रम शामिल है। विश्व में करोड़ों लोग हिंदी बोलते हैं। यही नहीं हिंदी दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली पांच भाषाओं में से एक है।
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