विषय- मुक्तक व शायरी
1-दीपावली ने जब हम से ली विदाई!
भाव प्रगट कर प्रसन्नता जतायी!!
अगले बरस फिर आने का वादा किया!!!
दिल में श्रद्धा व प्रेम की लौ जगमगाई!!!!
2-मोहब्बत से सरोबार समन्दर है हम!
गहराई माप मुझ में उतर सकोगे तुम!!
3-मेरी गुस्ताखियों की हद कहाँ तक है न पूछिये जनाब!
दर्पण जमीं पर रखकर आसमां नीचे उतार सकते हैं!!
4-शायरा हूँ दमदार मैं सोते जगते लिखना मेरा काम!
मुझे नहीं एक पल भी सुकूँ- ए- चैन औ नींद -ए- आराम!!
5-मर कर भी जरूर निभायेंगे हम वादा!
जरा याद दिला देना मुझे मेरा वादा!!
6- ये दुनिया एक सुख-दुख का मेला!
निंदा मत कर तू बनकर वेला!!
दुख गया आएगी सुख की बेला!!!
एक दिन तुझे जाना है अकेला
7-चमन में अपने जलवों को बिखराकर इतना आम कर दे!
चर्चा में रहे तेरी हर महफिल की सुबह से शाम कर दे!!
अधूरी रहे वो हरेक महफिल जिसमें जिक्र तेरा न हो!!!
नशीली आँखो से अधरों में हरेक के तू जाम कर दे!!!!
© मौलिक
रीता जयहिन्द ✍ 🇮🇳🚩
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1-दीपावली ने जब हम से ली विदाई!
भाव प्रगट कर प्रसन्नता जतायी!!
अगले बरस फिर आने का वादा किया!!!
दिल में श्रद्धा व प्रेम की लौ जगमगाई!!!!
2-मोहब्बत से सरोबार समन्दर है हम!
गहराई माप मुझ में उतर सकोगे तुम!!
3-मेरी गुस्ताखियों की हद कहाँ तक है न पूछिये जनाब!
दर्पण जमीं पर रखकर आसमां नीचे उतार सकते हैं!!
4-शायरा हूँ दमदार मैं सोते जगते लिखना मेरा काम!
मुझे नहीं एक पल भी सुकूँ- ए- चैन औ नींद -ए- आराम!!
5-मर कर भी जरूर निभायेंगे हम वादा!
जरा याद दिला देना मुझे मेरा वादा!!
6- ये दुनिया एक सुख-दुख का मेला!
निंदा मत कर तू बनकर वेला!!
दुख गया आएगी सुख की बेला!!!
एक दिन तुझे जाना है अकेला
7-चमन में अपने जलवों को बिखराकर इतना आम कर दे!
चर्चा में रहे तेरी हर महफिल की सुबह से शाम कर दे!!
अधूरी रहे वो हरेक महफिल जिसमें जिक्र तेरा न हो!!!
नशीली आँखो से अधरों में हरेक के तू जाम कर दे!!!!
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