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बैंक्वेट हाल में चिंकी की शादी

14/12/2018
 बैंक्वेट हाल में चिंकी की शादी




काफी दिन बाद ख़ुशी की खबर आई थी की चिंकी के लिए एक रिश्ता आया है | थोडा दूर से है भटिंडा से | दिल्ली की लड़की भटिंडा जाएगी क्या | पहले ही लड़की ने कई रिश्ते ठुकरा दिए है वो भी दिल्ली के | लड़की की माँ भी जो रिश्ता कुछ आगे भी बढता तो पंडित जी को दिखाने ले जाती तो पंडित जी भी मना कर देते की इसके गुण नहीं मिल रहे |

चिंकी के पिता का भौपुरा से फ़ोन आया सुरेश जी के पास की एक रिश्ता भटिंडा से आया है सुरेश जी चिंकी के पिता के चचेरे छोटे भाई है | पर पिताजी शुरू से चाचा के पास रहे है तो उनका उस घर से पूरा लगाव था और सुरेश को परिवार में सब समझदार मानते थे तो उसकी सलाह भी जरूरी थी इस निर्णय में | चिंकी के पिता भौपरा में छोटा मोटा काम करके काम चलाते थे पहले वो एक अच्छी कम्पनी में थे | वो बंद हो गई थी तो वहा से हिसाब मिला था तो एक मकान ले लिया था जिसका किराया आ रहा था | और कुछ पैसा फिक्स कर दिया था की चिंकी के विवाह में काम आएगा | फ़ोन आया की रविवार को चलेंगे लड़का भटिंडा में प्रोफेसर है , रिश्ता मामा ने बतलाया है |

अब सुबह बड़ी गाडी कर ली | भटिंडा जाकर देखा लड़का सही संस्कारवांन है पर लड़के को भौपुरा बुलवाया देखने के लिए तो वो जगह उबड़ खाबड़ है कही अच्छा रिश्ता हाथ से निकल न जाये | तो लड़की को मामा के घर ही दिखला दिया जाये | लड़का और जीजा आये और चिंकी को पसंद कर गए | अब विवाह की बात चली की कहा की जाये | भौपुरा की तो वहा सारे मौहल्ले को बुलाना पड़ेगा और लड़के के परिवार वाले थोडा सभ्य है तो उन्हें वहा पसंद नहीं आएगा | तो चिंकी के पिता , पत्नी सहित सुरेश के घर पे चिंकी के साथ सुबह सुबह पहुच गए | असल में सारे फैसले चिंकी ही करती थी वो भी अपनी स्कूटी ले आई थी | चिंकी की उम्र अब 28 हो गई थी | और लड़का भी 31 का था | अब सुरेश उन्हें अपने एरिया की कुछ जगह दिखाने ले गया | सुरेश ने अभी अपनी भांजी की शादी करवाई थी समुदाय भवन में , करीब 400 लोग आये थे. शादी अच्छी हो गई थी तो कुछ अनुभव भी आ गया था | अब वो रास्ते में एक बैंक्वेट हाल में ले गया जो अभी अभी नया नया खुला था |

बैंक्वेट हाल बहुत ही अंदर से सुंदर सजा हुआ था , कुर्सिया लगी हुई थी | झूमर लहरा रहे थे | तभी बैंक्वेट हाल के मालिक वहा आ गए | जैन थे उन्होंने पुछा कितने लोगो का कार्यक्रम है | सुरेश जी ने कहा करीब 200 के लगभग | उन्होंने कहा मैं ढाई लाख में सब निपटा दूंगा | इसमें स्नैक्स, भोजन , बारातियों का स्वागत , लड़की की फेरे की बेदी भी | अब वो उन सबको घेर कर बैठ गया |

सब कुछ अच्छा लग रहा था कुछ करने की जरूरत नहीं थी , ऐसी डेकोरेशन चाह कर भी नहीं कर सकते थे | खुद भी करे तो जगह कम से कम पचास हजार की , टेंट डेकोरेशन वो भी कम से कम सत्तर हजार और फिर हलवाई के तीस और सामान अलग , और सभी उसमे उलझे रहेंगे |

बात हुई की कुछ कम कराये जाये तो अंत में दो लाख बीस हजार में सब तय हो गया | चलो एक काम तो निपटा | उनको एडवांस पचास हजार दिया | और उसने शादी से एक सप्ताह पहले आने को कहा की आप उस दिन आ जाना , उस दिन हमारे बैंक्वेट हाल में एक कार्यक्रम है उसीमे आप सब व्यंजनों को चख लेना | एक सप्ताह पहले चिंकी , सुरेश जी , उनकी पत्नी और लड़की गए और चख कर आये तो व्यंजन सचमुच बहुत ही स्वादिष्ट थे | पचास हजार और जमा कर के आ गए |

अब कार्ड छप चुके थे पर बांटने पर समस्या आ रही थी | लिस्ट के हिसाब से तीन सौ लोग हो रहे थे | बारात वाले जो पहले कह रहे थे की पन्द्रह बीस लोग आयेंगे अब संदेश आया की सत्तर से अस्सी आ रहे है | संख्या पक्ष बिगड़ रहा था | लड़की की बुआ दादी जो सामने के घर में ही रह रही थी | जब उन्हें पता चला की शादी बैंक्वेट हाल में हो रही है | वो बडबडा रही थी क्योंकि उनके तीन लड़के थे उनके कबीब 16 बच्चे , चार बहुए और लड़के | सबको वो कह चुकी थी और सभी ने तैय्यारी कर ली थी विवाह में जाने की , पोतियों ने तो कपडे भी सिल्वा लिए थे और चिंकी के पिता अपनी समस्या को लेकर अपनी बुआ के सामने बैठे थे | बुआ उसे कह रही थी तू शादी यही भोपुरा में कर लेता तो इतना खर्चा नहीं होता | बैंक्वेट हाल में एक एक थाली पंद्रह सौ की आती है | अब मैं कैसे मना करू , किस बच्चे को करू , भाई हमारे यहाँ से तो सब आयेंगे अब तू देख और सुरेश की बातों में तू कैसे आ गया वो तो है ही बहुत खर्चीला , वो तो नाश्ते में भी दो दो सब्जिया खाता है रोज उसकी बहु पूरी छोले , कचोरी बना के खाती है | भाई तुझे तो अपना ध्यान रखना चाहिए था | असल में वो घबराई हुई थी की अपनी बहु ओ को कैसे समझाउंगी | कि कम लोगो जाये | जब से सबने सुना है बैंक्वेट हाल में शादी है सारी तैयार है | अब चिंकी के पिता ने फ़ोन सुरेश को किया की एडवांस वापस हो सकता है क्या |लड़के वालो का फ़ोन आया है की शादी भटिंडा में ही करनी है | वहा सस्ती हो जाएगी | सुरेश ने कहा की बैंक्वेट हॉल वाला पैसे वापस नहीं देगा |लड़की के मामा ने कुछ उल्टा सीधा कह दिया , तो रिश्ते में खटास से आने लगी | कुछ लेने देने की बात भी शुरू हो गई | पर सुरेश ने कहा की शादी यही दिल्ली में होगी | चिंकी के पिता भी यही चाहते थे की शादी भौपुरा में ही हो जाती , असल में उनको ये काम करने में मजा  आता है कभी हलवाई की कड़ाई पर बैठ कर पूरी तैयार करना , कभी चिल्ला चिल्ला कर सामने वाले से लड़ाई करना | पर ये सब बात बैंक्वेट में कहा | घर में भी काफी कहा सुनी हुई इस विषय पर , सभी बच्चे बैंक्वेट में ही शादी करने के इच्छुक थे | फिर भी भाजी चिंकी के पिता ने घर पर ही बनवाई , हलवाई ने कम उन्होंने ही लड्डू को हाथ से बनाए और कचोडी भी , और पैकेट भी खुद ही बनाए , हलवाई की चाय भी घर से तथा उनके साथ बीडी पीते हुए समझदारी के बाते करने में जो बात है वो बैंक्वेट हाल में कहा | अभी तक चिंकी का ब्यूटी पार्लर ही तय नहीं हो पा रहा था | कोई पांच सेटिंग दे रहा था कोई अलग अलग | जेवर खरीदे जा चुके थे | पैसे भी करीब करीब खत्म हो चुके थे | बजट भी ओवर हो चूका था | घर में घमासान हो रहा था वहा मामा रोज़ सुतली लगा रहा था क्योंकि शादी उसके हिसाब से नहीं हो रही थी | लड़का रोज़ लड़की से बात कर रहा था | रोज़ की पोजीशन गड़बड़ हो रही थी |
अब आया विवाह का दिन सारा दारो मदार सुरेश के कंधे पे आ गया था की अगर बारात में संख्या बढ़ गई और दो सौ से प्लेट ज्यादा लग गई तो पैसे और देने पड़ेंगे , पर पैसे तो खत्म है , बुआ दादी पहले ही काफी बडबडा रही थी | अब क्या किया जाये , सभी बच्चो का कह दिया गया था की एक प्लेट में दो दो ,तीन तीन लोग खा लेना | और किसी ने कह दिया की वेटर भी पचास प्लेट गायब कर देते है और फिर बरातियो के सामने बेइज्जत कर देते है |की पहले पैसे फिर और प्लेट देंगे | सुरेश के माथे पे पसीने आ रहे थे | शादी दिन की थी बैंक्वेट हाल सुबह ग्यारह बजे से शाम चार बजे तक था | सुबह ग्यारह बजे भौपुरा से आने वाले घराती आने शुरू हो गए थे | बुआ का परिवार पूरा आ चुका था | बारह बजे स्नैक्स शुरू हो चुके थे |सूप आ रहा था | बुआ भी सूप का आनंद ले रही थी | धीरे धीरे चिंकी के और मामा और उनके बच्चे भी आ चुके थे | उसका भाई और उसके दोस्त बारात जब आएगी पहले जिस घर में ठहरेगी उसकी व्यवस्था कर रहे थे | संख्या को देख कर सुरेश जी के माथे पर बल पड़ रहे थे | एक बज चूका था भात की तैय्यारिया हो रही थी | भात में मामा के घर से जो उस सामान भांजी को देना होता है वो देता है ये भी एक रस्म होती है | दो बज चुके थे बारात का अभी कोई पता नहीं था | बारात अभी मजनू का टीला पे थी | रास्ता उन्हें समझ नहीं आ रहा था उधर घूमे जा रही थी | बैंक्वेट हाल का मेनेजर सुरेश जी पास बार बार जा कर पूछ रहा था की खाना कितने बजे खोलना है | फिर फूल वाला आया की दूल्हे व् दुल्हन की माला कहा है | चिंकी के पिता से पुछा तो वो वैसे उखड़े घूम रहे थे जैसे किसी और की शादी में आये हो | की वो तो लड़के वालो की होती है | सुरेश अगर वो नहीं लाये तो | नहीं का क्या मतलब है ये होती लड़के वालो की है | अब सुरेश ने लड़के वालो से पुछा कहा हो तो वो बोले राजघाट पर , हमें रास्ता ही नहीं मिल रहा है , तो सुरेश ने पुछा की आप दुल्हे व् दूल्हे की माला तो लाये हो |वहा शान्ति छा गई | थोड़ी देर में एक बुजुर्ग ने उनमे से स्थिति को सम्भालते हुए कहा की वो तो लड़की वालो की होती है | सुरेश ने कहा मतलब आप नहीं लाये | अब चिंकी के भाई को फ़ोन किया की भाई जाकर दो माला ले आओ | चिंकी के पिता बडबडाते हुए ऐसा होता है क्या | माला तो लड़के वालो की होती है | हॉल में ऐ सी चल रहा था जाकर बाहर खड़े हो गए | सुरेश ने कहा की भाई साहब अंदर आ जाओ तो उन्होंने कहा हमें ए सी की कोई जरूरत नहीं है हम आम आदमी है | ऐसे दिखा रहे थे जैसे सब सुरेश की जिम्मेदारी हो और वो लड़की के फूफा हो |
और बैंक्वेट का मेनेजर सर खाना खोल दू क्या | बारात आ चुकी थी बस को सुरेश ने सीधा बैंक्वेट हाल ही बुलवा लिया था क्योंकि तीन बज चुके थे | अब बारात कब फ्रेश होने जाएगी कब आएगी | तीन बज चुके थे हाल चार बजे तक था | खाना खुलवा दिया था |

बाराती जो इतनी दूर से चल कर आये थे | बैंक्वेट में घुश्ने को तैयार नहीं थे उनके साथ महिलाये भी थी | सुरेश का लड़का ऊपर आया और बताया की बारात में लोग मान नहीं रहे है | सुरेश नीचे गया और मालाये ली और बारातियों के गले में डालनी शुरू कर दी और बताया की आप लोग पहले ही देरी से है ऊपर चलो कुछ फ्रेश हो जाना और कुछ जलपान करे | अनमने मन से लोग चल पड़े | भूख भी लगी थी पर लड़के को अलग जगह ले जाया गया फ्रेश होने के लिए | बाकी में कुछ जलपान के लिए चल पड़े कुछ तैयार होने तीसरी मंजिल पर |सुरेश की निगाह प्लेट्स पर थी | धड़कन बढ़ रही थी | वो प्लेट्स के पास कुछ दूरी पर ही खडा हो गया और नज़र रखने लगा |
रिश्तेदार आ रहे थे उन्हें पता था की ये सब व्यवस्था सुरेश ही करवा सकता है सब उससे आकर पूछ रहे थे की ये कितने का हुआ कैसे हुआ | प्लेट लेकर उसके पास ही खड़े हो जाते थे | पत्नी भी बार बार आकर आ जाओ इधर एक फोटो खिचवा ले | भतीजा कैमरा लाकर अलग अलग पोज ले रहा था | बेटिया भी माँ के साथ सेल्फी में मस्त थी | बीच बीच में सुरेश कभी चीला , कभी गोल गप्पे , कभी दही भल्ले ,का आनंद भी ले रहा था पर उसकी सटीक नज़र प्लेट्स पर थी | और एक बार वेटर ने कुछ प्लेट उठा भी ली लेकिन एक दम सुरेश के पलटने पर वही रख दी | समय बढता जा रहा था | पांच बज गए थे | दूल्हे व् परिवार के लिए अलग टेबल लगवा दी गई थी | पर दूल्हा महूरत निकलवा के आया था की पहले फेरे फिर भोजन , मेनेजर सर पर की दूसरी बुकिंग का टाइम हो रहा है , सफाई भी करवानी है , चिंकी का पिता वोही अपनी धुन मैंने तो पहले ही कहा था | फेरे हो गए अब सबका भोजन हो गया था | बुआ की पोतियों ने और सभी रिश्तेदारों ने समझदारी दिखाई | स्नैक्स वाली प्लेट्स में ही खाना भी लेकर खा लिया था | बुजुर्ग बुआ ने सब बच्चो को समझा दिया था | तीन सौ आदमियों के भोजन के बाद भी बीस प्लेट्स अभी खाली थी | मेनेजर और वेटर हैरान थे | सुरेश की भी टाँगे थक चुकी थी पर एक बीड़ा उसने लिया हुआ था उसे निभाना था जिसे सिर्फ चिंकी समझ रही थी | भोजन हो चूका था चिंकी के मामा भी हाथ जोड़कर सुरेश के पास आये और कहा की व्यवस्था शानदार रही , हम भी चाहते तो इतनी अच्छी व्यवस्था नहीं कर सकते है | अब सारा श्रेय सुरेश को ही मिल रहा था | सभी सुरेश से मिल रहे थे | अब सुरेश ने पत्नी ,बेटी के साथ अपनी फोटो खिचवाई और एक कॉफ़ी ली | और बारात को विदा करने के लिए नीचे आये | भतीजी चिंकी ने सुरेश को धन्यवाद किया और दामाद उनके गले लगा की चाचा सिर्फ आप हो , जिसकी वजह से ये विवाह सम्पन्न हो गया | आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
 सुरेश अपनी थकान को भूल चुका था | सब गाडी में बैठ चुके थे | सबको हाथ जोड़कर विदा किया | और चिंकी के पिता के पास गया सोचा की वो भी कुछ खुश होंगे |और धन्यवाद तो जरूर कहेंगे | उनसे सुरेश ने पुछा कि अब तो खुश हो सब ठीक ठाक हो गया वो बोले क्या ठीक हो गया | अगर हलवाई अपना किया होता तो ये सारा बचा हुआ खाना तो हम ले जाते |

सुरेश ने उन्हें प्रणाम किया और चिंकी तो खुश थी न ,और भगवान् को इज्जत बचाने के लिए धन्यवाद देते हुए अपनी भाजी का पैकेट लेकर चल दिया और अपने रोज मर्राह की जिंदगी की और मुस्कराते हुए कुछ गुनगुनाते हुए |

मनोज शर्मा “मन”
101, प्रताप खंड, विश्वकर्मा नगर,
दिल्ली 110095,
मोब. 9871599113


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