नमस्कार मित्रों आज हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं "सुनहरी यादें" क्रम में स्वर्गीय अल्हड़ बीकानेरी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनका एक हास्य व्यंग ग़ज़ल सतमोला कवियों चौपाल में प्रस्तुत की थी। 15 साल से चल रही अनवरत काव्य यात्रा है आप भी इस में सहभागी बने। हमारे पास हमारी जो संपत्ति है हमारे पास जो विरासत है वह काव्य परंपरा है। जिसमें अल्हड़ बीकानेरी जी अग्रसर हैं। आप भी इसमें शामिल हो और काव्य में अपनी आहुति डालें। कृपया हमारे चैनल को सस्क्राइब करें।
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